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"लम्हें फुरसत के.."

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" निकाल लिया करो कुछ लम्हें ,   फुरसत के ,   रंजिशें भुलाने के लिए ..   क्या है  पता  किसी को,   सांसों की मोहल्लत कहां तक है । वक्त की गाड़ी , थमती नहीं है जनाब,, भुलाए रखना ये नफरतें , गफलतें, शिकायतें सब  क्या पता ये ज़िंदगी की दौलत कहां तक है ।"                                        -vjay ✍️✍️