" खंजर देखें हैं.."
" खंजर देखें हैं.."
मैंने जिंदगी में वो मंजर देखे हैं।
अरे गैरों की क्या बात करें ,
मैंने अपनों के हाथों में खंजर देखे हैं।
हर शख्स यहां स्वार्थ का पुतला है,
दिल सभी के बंजर देखे हैं।
प्यास नहीं बुझती बारिश से,
मैंने आंखों से, प्यासे समंदर देखे हैं।
रूठ चुका है सारा जहां हमीं से,
कुछ उजड़े हुए सपनों के खंडहर देखे हैं।
साथ चले थे, जो हमसफर कभी,
मैंने भूमि से बिछड़े वो अंबर देखें हैं।
vijay...
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Nyyyycly
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