"यादों का शहर..."

" ना शौंक था ,ना आदत थी, लिखने की,, तन्हाइयों ने, लिखना सीखा दिया ,, कोई ना मिला , जब हाल-ए -दिल सुनने वाला ,, कलम को ही सुनाके , रुला दिया ,, अब तो मोहब्बत हो गयी है , इस कागज़ कलम से ,, ...